नया साल... नया साल, नई उमंग... नए ख्वाब, नई तरंग... नए साल का, नया है जोश... मदहोशी में भी, मुझे है होश... प्यार का थोड़ा, नशा सा है... बिन पिये ही जो, चढ़ गया है... नए साल की, चुनौतियाँ नई... देख रही मेरा रस्ता, दर पे खड़ी-खड़ी... धुंधली है मंजिल, धुंधली है राह... चलना है सम्भलकर, जहाँ तक जाती निगाह... करना है सफर, साथ ए हमसफर... सम्भाल लेना तू मुझे, हर गली-हर डगर... नया है पाठ, नया है डर... हिम्मत से पार इसे, कर लुंगी मगर... इसके पहले की ये जोश, ठंडा हो जाए... कृपा करो भगवन, की मेरा काम बन जाए... -Pranjali Ashtikar
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