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Showing posts from January, 2022

Ye na re...

  ये ना रे...  ये ना रे, जवळ ये जरा...  मिठीत आपल्या, धरून घे मला...  येऊ दे ना रे, तुझ्या कुशीत मला...  हळूच प्रेमाने, तू कुरवाळ मला...  नको बोलू काही, फक्त बघ मला...  जास्त काही नको, फक्त तू हवा...  चल ना माझ्यासोबत, जिथे असेल थंड हवा...  फक्त दोघे असू तिथे, आणि असेल शांतता...  तू बसला राहशील, कुशीत घेऊनी मला...  ऐकू येईल मला स्पष्ट, तुझ्या ह्रदयाचा ठोका...  आपल्या हातात, माझा हात घे जरा...  किती प्रेम करतो माझ्यावर, हे मला सांग जरा...  खूप काही नको, तुझा थोड़ा वेळ हवा...  देऊ शकशील का या जन्मी, साथ तू मला...???  -Pranjali Ashtikar

Mujhe samajh aa raha h...

  मुझे समझ आ रहा है...  जिसे बोलती थी,  हक से अपना...  आज वो अपनी,  जान छुड़ा रहा है...  जो मेरे लिए,  सब छोड़ आता था...  किसी और के लिए,  अब मुझे छोड़ रहा है...  सबसे पक्की है अपनी यारी,  ये समझती थी मैं...  तुझे अपना हमेशा,  मानती थी मैं...  आज भी मुझे,  यकीन नहीं हो रहा है...  कभी मेरा भी दिल तोड़ सकता है तू,  ये सोच, दिल सहम रहा है...  तुझसे बहस करू,  या मार ही डालु...  हक से याद दिलाऊँ,  या हक छोड़ जाऊँ...  आज पहली बार,  मन में सवाल रहा है...  आखिर क्युँ मुझसे तू,  मुँह मोड़ रहा है...  धीरे-धीरे, मुझसे तू,  दूर जा रहा है...  अंजान नहीं हूँ मैं,  मुझे समझ रहा है...  किस गलती की मुझे,  तू सज़ा दे रहा है...  मेरी गलती क्या है ये छोड़कर,  मुझे सब समझ आ रहा है...  -Pranjali Ashtikar