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Showing posts from August, 2020

DILWALE...

दिलवाले

Apne

अपने अपनो की खुशी के लिए,  बदली हमने अपनी चाहते, अपने अरमान, अपने फैसले....  ढुँढी अपनी खुशी,  उनकी खुशी में....  बनाया उनके हर एक सपने को अपना....  काँच की तरह टूट के बिखर गया ये दिल,  जब उन्होंने कहा,  "इसने पुरा किया खुद का सपना,  क्योंकि सोचा इसने सिर्फ अपना, सिर्फ अपना.... " - Pranjali Ashtikar

DURGHATANA...

दुर्घटना 

Kuch paane ke liye.....

  कुछ पाने के लिए....  देने के लिए रौशनी,  सूरज को भी जलना पढ़ता है....  ढलने के लिए साचे में,  सोने को भी पिघलना पढ़ता है....  बनने के लिए रोटी,  गेहूँ को भी खुद पिसना होता है....  पोहचाने के लिए मंजिल तक राही को,  राह को भी जुतो के घाव झेलने होते है....  बनने के लिए मुर्ती,  पत्थर को भी वार सहने पढ़ते है....  खुद को निर्मल बनाने के लिए,  नदी को भी बहाव बढ़ाना पढ़ता है....  ज़िंदगी का तो यही नियम है,  कुछ पाने के लिए, कुछ खोना ही होता है....  अगर दौड़ पुरी करनी हो,  तो दौड़ना हमें ही होता है....  बुलंदियों को छुनें के लिए,  हमें बस थोडी मेहनत करना होता है....  पंख फैलाकर उड़ने के लिए,  आखिर, तितली को भी, कुछ वक्त कैद में रहना पढ़ता है....  -Pranjali Ashtikar

EK NARI SAB PE BHARI ...

एक नारी सब पे भारी 

Mitti ko VATAN ke....

 मिट्टी को वतन के....  मिट्टी को वतन के,  हमने है सिंचा अपने लहु से....  भारतीय होने का धर्म,  निभाया है पुरी निष्ठा से....  जात-पात अमीरी-गरीबी; काला-गोरा या लड़का-लड़की होने से....  कोई फर्क नहीं पड़ता हमें,  एसी खोकला बटवारो  की लकीरों से....  हर मुसीबत का सामना,  किया है साथ मिलके....  इस परीक्षा(corona) की घड़ी में भी,  खड़े रहेंगे साथ मिलके....  ए दुनिया वालों,  यु कमजोर ना समझो हमको....  जब बंध जाते इक मुट्ठी जैसे,  कोई हरा ना सकता हमको.....  -Pranjali Ashtikar

KASH WO DIN WAPAS AAYE

  काश वो दिन वापिस आए ... काश वो दिन वापिस आए,😔 जब हम दोस्तो संग पिए चाय।☕ ये अकेलापन में  को ना भाय🏝️👤 काश वो दिन वापिस आए।😔 उसी गलियों में घूमने जाएं🛣️🚸 काश वो दिन वापिस आए।😔 बार बार Trips के Plan बनाए🏍️ काश वो दिन वापिस आए।😔 वसंत का Night Show देखकर आए,🎞️🎬 काश वो दिन वापिस आए।😔 हा है यहां Lectures Boring,📋 पर दोस्त भी तो साले इतने Caring।👨‍⚕️👩‍⚕️ इन सब के बिना कैसे रहा जाए,💔 काश वो दिन वापिस आए।😔 Library की सीढ़ियां चढ़ा ना जाए,📚📚 काश वो दिन वापिस आए।😔 वहीं अली की बिरयानी और मुरली की चाय🍖🍛☕ काश वो दिन वापिस आए।😔 अभी पढ़ाई में मन नहीं लगता  दोस्त बिना इक पल, पल नहीं लगता, इन सब चूतियो के बिना 💑 समय भी तो कैसे जाए⏳ काश वो दिन वापिस आए😔✍️ - निखील वासनिक

Barasti Bunde

 बरसती बूँदे जोर शोर से बरसती ये बूँदे,  हमेशा जाती है सबको भिगोके....  आती है दिल की ज़मी नर्म करने,  बंजर दिल को उपजाऊ बनाने....  इस दिल में प्यार का पौधा लगाने,  और फिर प्यार से उसे बढ़ाने....  जमे दिल के मैल को साफ करने,  ले जाती है सारी नफरत बहाके....  आती है आँखों की धूल मिटाने,  जाती है नया नजरियाँ देके....  इक-इक करके हर इक दिल जोड़ने,  पुराने रिश्तो को नया बनाने....  आती है एसे ये प्यार बरसाते,  जाती है ज़िंदगी में बहार लाके.....  - Pranjali Ashtikar

तुलाच तर चालायचंय

तुलाच तर चालायचंय ... वाट असली जरी कठिन  तरी तुलाच चालयचय मध्ये थकून सुध्धा  पुन्हा  उठून तुलाच पळायचय कधी वाटेल तुला हरल्यासारख पण तुला स्वतः लाच  जिंकून घायच्य यशाच्या त्या उत्तुंग शिखरावर  तुलाच तर चढायचं लोक बोलतील,तुला पाडतील  त्यांना सिध्द करून,  तुलाच तर दाखवायचं. कधी शब्द नसतील तुझ्या कडे पण कृतीत सुध्धा तुलाच तर आणायचं वाटून स्वतचं दुःख स्वताशीच स्वताशीच तर भांडायच वाटल जर एकटं तुला  बघ स्वतः मधल्या स्वतःला  तुझा सोबती तुझ्यातच तर आहे  का जगामध्ये सोबती पाहे एक फक्त लक्ष्यात ठेव स्वतः मध्ये विश्वास ठेव  तूच आहे तुझा तारणहार नको करू रे दुसऱ्यांच्या  विनवण्या फार - निखील वासनिक 

ती

ती .. कोणाला नाही आवडत आपल बालपण.???  प्रत्येकजण बोलतेय,   लहानपण देगा देवा,  मुंगी साखरेचा रवा' पण, कुणी ते  बालपणच हिरावून घेतल तर.???  होय,  माझ बालपण हिरावलय...  बालपणात हरवलेली मी, किती सुंदर जग होते,  माझ्या स्वप्नाच्या दुनियेत आनंदाचे क्षण होते... ना कुठली चिंता,  ना कसली काळजी,  मनसोक्त खेळणे आणि स्वछंद भरारी... मी  बाबांची परी आणि आईची लाडली,  दादासोबत भांडत - खेळत प्रेमाने फुलली...  मित्र - मैत्रिणींसोबत जमलेली माझी गट्टी,  जणू हेच सर्व माझी विश्वनगरी...  परंतु,  एके दिवशी झाले असे,  मी चुकली वाट की नशिबच थोडे होते.???  जीवनातला तो शेवटचा काळा दिवस होता,  माझ्या मनाविरुद्ध सोबत घेऊन जात होता...  मी  शाळेच्या वाटेला निघाली,  मध्येच काका मला अडवी,  मला सोबत चालायला लावी...  मी नाही म्हटल्यावर मला उचलून घेई,  काय चुकी माझी,  सांगा ना कुणीतरी.???   आई ग,  ऐक ना,  तू रडू नकोस खुप घाबरली होती मी,  ओरडायला पण जागा उरली नव्हती,  माझ्या तोंडामध्ये काहीतरी कोंबून का ते काका मला घेऊन जाई.???  काय चुकी माझी,  सांग ना ग आई.???   आई,  अंधाराची वाट होती माझ्या डोळ्यांना पट्टी होती,  श्व

मैत्री..!

मैत्री...! खऱ्याखुऱ्या  कुटुंबाबाहेर,  नवे कुटुंब बनविणारी..  दुनियादारीच्या विळख्यातही,  हक्काच माणूस देणारी........  शब्दांनी स्पष्ट होत नसली तरी, कृतीतून व्यक्त होणारी.. सल्ले असो वा रुजवाद, आवर्जून पुढे धजावणारी.......  गिले-शिकवे विसरून,  सगळ्यांना आपलंस करणारी.. कधी गोड, तर कधी तिखट पण अविस्मरणीय अनुभव देणारी.....  आयुष्याचा एक अविभाज्य भाग बनून, त्याबरोबरच वाढत राहणारी... अशी ही मैत्री,  हसवणारी, रडवनारी अन् मनात रुजणारी!!                    --मृणाली सोसे.

TUZYAPASUN MI AAHE ...

  तुझ्यापासून मी आहे