सफरनामा सितारों से गुफ्तगू में बह जाना रात की खामोशी को गले से लगाना बिछड़े हुए दोस्तो की याद में खो जाना कोन अपना कोन पराया इस उलझन से उलझना नैनतारो की आसुओ को चांद से छुपाना खुद की बंदिशियो पर सारी रात रोना तारो के साथ में ही घनी रात बिताना सुबह की पहली किरण का बेसबरी से इंतजार करना जीवन का सफरनामा कुछ ऐसाही चलता रहता अगर खुदसे वाकिफ होने का जज्बा न होता अगर रात में तारो की महफ़िल में रंगना न आता अगर बंदिशियो को तोड़कर जीना न आता अगर नैनतारो पर मुस्कान लाने वालों का सहारा न होता अगर कोन अपना कोन पराया इस उलझन को सुलझाना न आता तो सितारो से मेरा सफरनामा कभी बया न हो पाता ... - खुशाल भोयर
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