तुने कुछ कहा... तुने कुछ कहा, मैंने कुछ सुना... प्यार के माहौल को, नाराज़गी का बादल नीगल गया... दोनों बैठे, मुँह फुलाए... कौन किसे, पहले मनाए... रहे खयालो में, एक-दुसरे के हम... पर क्युँ करे, इस बार पहल हम... मैंने किया इंतज़ार तेरा, और तुने मेरा, तुझे मनाने का... बिन मतलब चलता रहा, ये सिलसिला रूसवाई का... पागल से इस दिल को अब, बेचैनी हो रही है... तुझसे दो पल की दुरी भी, बर्दाश्त नहीं हो रही है... छोड़ो ये सब फिजूल बातें, मुझे गले से तुम लगालो... बाहो में मुझे भरके तुम, मेरी साँसें मुझे लौटा दो... - Pranjali Ashtikar
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