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जीवन का एक अंग.......

तू जिंदगी का हिस्सा,  कोई माने  या  ना माने, तू हर कहानी का किस्सा..... कही डर तो कभी आपदा के नाम से तेरी पहचान, अल्फाज बदलते, भाव मात्र एक समान..... रहे तकरार, की तू कमजोरी की निशानी, ऐसी भूल ना करे कोई बुद्धि सयानी..... इस एक मात्र भय ने क्या खूब रंग दिखाए सच्चे-झूठे काम, समय समय करवाए... फिर पश्चाताप की कसोटी में तू खुद को आजमाएं बेलगाम दिमाग यादों के प्रभाव से उभर न पाए..... समय फिर नई घटनाएं नव अनुभव साथ लाये बीती बातों की परछाई पीछे छोड़ जाये.... वो साया भय का, सबब याद दिलाये सही गलत का सबक बेहतरी की ओर ले जाये.... तेरे हिम्मत की पहचान तुझे भय ने करवाई धैर्य की शीतलता पल पल सिखाई..... अंतता, मौजूदगी भयकी अनुशासन बढ़ाए, नैतिकता और मानवता से जीवन सजाए..... तू अस्तित्व भय का स्वीकार कर उठ, आगे बढ़ और हर चुनौती पार कर.... -Yogeshwari K Bhoyar
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Takat

  विजय तेरी अटल है.... बस तू हारना नही.... तेरी सोच तुझे बनाती है.... किसी नजरिये का तू गुलाम नहीं.... ज्वलंत सूरज है तू.... आग का गोला नही.... जीतना तुझे खुदसे है.... युद्ध तेरा दुनिया से नही.... खुशी चाहत है तेरी.... विकल्प तो नही.... जिंदगी तू जीत चुका.... बस तू कभी हारना नही.... जब तक जिंदा है.... बस तू कभी हारना नही....

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 छोट्या छोट्या हातांनी,  कोणी बोट माझं धरणार का...???  कोवळ्या कोवळ्या आवाजाने,  कान माझे दुमदुमणार का...????  त्याच्या एका स्पर्शाने,  चोळी माझी भिजणार का...???  त्या मऊ गालांचा पापा,  कधी घ्यायला भेटणार का...???  हक्काची मायेची हाक,  कधी ऐकायला येणार का...???  माझ्या पोटाचा गोळा,  कधी हातात येणार का...???  सर्वांना हवे असलेले,  सुख मला भेटणार का...???  या जन्मात कधीतरी,  मी आई होऊ शकणार का...???  (कधी=कधीतरी)  -Pranjali Ashtikar

Holi

Holi  Burn the evil,  Things-emotions...  Also the Devil, Destroying love potions...  Make ash of things,  That destroy Ur feelings...  What makes all ease,  Is the mental peace...  Bring colours & joy & also the Happiness...  From life of Loved ones,  Remove all sadness...  Open Ur eyes,  & listen the gentle voice...  Which makes U realize,  U r the source of all delight...  -Pranjali Ashtikar

Ye na re...

  ये ना रे...  ये ना रे, जवळ ये जरा...  मिठीत आपल्या, धरून घे मला...  येऊ दे ना रे, तुझ्या कुशीत मला...  हळूच प्रेमाने, तू कुरवाळ मला...  नको बोलू काही, फक्त बघ मला...  जास्त काही नको, फक्त तू हवा...  चल ना माझ्यासोबत, जिथे असेल थंड हवा...  फक्त दोघे असू तिथे, आणि असेल शांतता...  तू बसला राहशील, कुशीत घेऊनी मला...  ऐकू येईल मला स्पष्ट, तुझ्या ह्रदयाचा ठोका...  आपल्या हातात, माझा हात घे जरा...  किती प्रेम करतो माझ्यावर, हे मला सांग जरा...  खूप काही नको, तुझा थोड़ा वेळ हवा...  देऊ शकशील का या जन्मी, साथ तू मला...???  -Pranjali Ashtikar

Mujhe samajh aa raha h...

  मुझे समझ आ रहा है...  जिसे बोलती थी,  हक से अपना...  आज वो अपनी,  जान छुड़ा रहा है...  जो मेरे लिए,  सब छोड़ आता था...  किसी और के लिए,  अब मुझे छोड़ रहा है...  सबसे पक्की है अपनी यारी,  ये समझती थी मैं...  तुझे अपना हमेशा,  मानती थी मैं...  आज भी मुझे,  यकीन नहीं हो रहा है...  कभी मेरा भी दिल तोड़ सकता है तू,  ये सोच, दिल सहम रहा है...  तुझसे बहस करू,  या मार ही डालु...  हक से याद दिलाऊँ,  या हक छोड़ जाऊँ...  आज पहली बार,  मन में सवाल रहा है...  आखिर क्युँ मुझसे तू,  मुँह मोड़ रहा है...  धीरे-धीरे, मुझसे तू,  दूर जा रहा है...  अंजान नहीं हूँ मैं,  मुझे समझ रहा है...  किस गलती की मुझे,  तू सज़ा दे रहा है...  मेरी गलती क्या है ये छोड़कर,  मुझे सब समझ आ रहा है...  -Pranjali Ashtikar

Naya Saal

 नया साल...  नया साल, नई उमंग...  नए ख्वाब, नई तरंग...  नए साल का, नया है जोश...  मदहोशी में भी, मुझे है होश...  प्यार का थोड़ा, नशा सा है...  बिन पिये ही जो, चढ़ गया है...  नए साल की, चुनौतियाँ नई...  देख रही मेरा रस्ता, दर पे खड़ी-खड़ी...  धुंधली है मंजिल, धुंधली है राह...  चलना है सम्भलकर, जहाँ तक जाती निगाह...  करना है सफर, साथ ए हमसफर...  सम्भाल लेना तू मुझे, हर गली-हर डगर...  नया है पाठ, नया है डर...  हिम्मत से पार इसे, कर लुंगी मगर...  इसके पहले की ये जोश, ठंडा हो जाए...  कृपा करो भगवन, की मेरा काम बन जाए...  -Pranjali Ashtikar

दिल से दिल तक !

  "आखों मे देखा उनके  तो बर्फ़ से पिघल गए  दिल मे उतारा उन्हे  और खुद बिखर गए ।"

Yaad rakhu ya bhul jaau....???

 याद रखु या भूल जाऊँ....???  याद रखु तुझे,  या भूल जाऊँ...  बोल ये मामला,  आखिर कैसे सुलझाऊँ...  तेरे राहते,  कोई आता ना यहाँ...  अब तो मेरी किताबें भी,  हो गई है मुझसे खफा...  कल-तक जो रहती थी,  दिन-रात साथ मेरे...  अब रूठ गई है वो,  रवइए से मेरे...  अब भी हर वक्त रहती वो,  हाथों में मेरे...   पर तेरे रहते,  इससे वफा निभाऊँ में कैसे....???  🤷‍♀️ -Pranjali Ashtikar  (Main, meri books aur "Wo")  [Wo=📱 ] 🤪

Udaasi Ki Dawa

  उदासी की दवा उदास सा लग रहा था,  मन कही भी ठहेर नहीं रहा था...  बिना वजह ये बेचैनी क्यूँ है,   पता नहीं चल-पा रहा था...  कई तरह से मन को,  उलझाना  चाहा हमने...  पर ये तो था आज,  एक अलग ही गम में...  उपाय मुझे मिला नहीं,  सोचा, तुमसे राय ले-लू...  अगर कोई हो दवा इस मर्ज की,  वो मैं झट से खा-पी लू...  बात करते-करते मुझे,  एहसास यू हुआ...  बेचैन ये मन,  आखिर था किसके लिए हुआ...  पता मुझे चला,  तुम ही हो मेरी दवा...  तुम ही हो जिसके लिए,  दिल उदास था हुआ...  -Pranjali Ashtikar