स्वाभिमान
मशख्खत तेरी गुमनाम है, मालूमात बकवास हुई,
तेरा कोई वजूद नहीं तो तुज़ में वो बात नहीं।
किस्से हज़ार है बारिश बेमिसाल हुई।
पर तुझे मनाए कोई इतनी किसी को तेरी परवाह नहीं।
कुछ हासिल हो तो ही तू है वरना तेरा होना किसी के लिए खास नहीं।
कुछ पा ले फिर बात कर नामुराद, अब तू किसी के लिए सौगात सही।
जो हक है तेरा वो है तुझे पाना, खुदाई तेरी किसी खैरात की मोहताज नहीं।
ना समझ तू घमंड इसे, है तेरा स्वाभिमान यही।
जब तक न कर ले कुछ हासिल तू, ना भूल की तेरा कोई वजूद नहीं, तुझ में वो बात नहीं।
- Yogeshwari Bhoyar
कलम वहीं, बाते भी वही, बस पहचान कुछ नहीं....
Wow ..very nice didi ...💯💓🍀😊
ReplyDeleteThank you Bhai ❤️
Deleteखूपच सुंदर .mam.👌😍👌
ReplyDeleteThank u so much....
Deleteखूप छान👌
ReplyDeleteThank u very much....
DeleteEkdam Chan🤩🔥
ReplyDeleteThank u.....😇
DeleteVery nice poem....🌸
ReplyDeleteThank u so much....
DeleteNice dear
ReplyDeleteThank u so much
Delete❣️❣️✌️✌️
ReplyDeleteThank u vinay....
DeleteBeautifully expressed!! Very good choice of words..
ReplyDeleteThank u shari......
DeleteEkach Number Tai😍😍😅😅😅
ReplyDeleteThank you dear....
DeleteSo true yogeshwari. Kisi kavi ne likha hai aisa lag raha tha padhte waqt. Wonderful.
ReplyDeleteThank u sir....
DeleteWell penned yogeshwari🤩
ReplyDeleteThank you mrunali....
ReplyDeleteAwesome!!
ReplyDeleteThank you.....
DeleteGood one !
ReplyDelete👏👏swabhimaan...
ReplyDelete🔥ekdam jhakaasss