दोस्ती समुंदर के किनारे पर आया हुआ खयाल हवा मे उडते तेरे घुन्घराले बाल दोस्ती से बढकर कुछ भी नही मेरे यार मत सोच उसके अलावा तू कोई भी बात किसी अजनबी से दिल खोल के कि हुई बात बातो मे भी जिक्र था दोस्ती का ही हमारे यार हजारो दफा जब किया है मैने अच्छा काम तोडना सबकुछ, क्या यही मिलेगा मुझे ईनाम मंदीर मे गुंजने वाली घंटी का नाद हमसफर ना सही तुम दोस्त हो मेरे यार राहो तुम्हारे अलावा कोण देगा मेरा साथ दोस्ती के खातीर तुम ठहर जाओ ना यार सुहावने सावन कि सौम्य बौछार तुम्हारी मेरी दोस्ती का ही मुझे बोहोत दुल्हार सौ संकटो से गुजरने के भी बाद रही है वो आजतक आबाद - खुशाल भोयर
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