दिवाली - खुशहाली
टिमटिमाते तारों की,
जमी पे आइ टोली...
सुहानी लगती हर आंगन,
रंगोली रंग-बिरंगी...
शक्करपाढे-चिवडा-लड्डू,
सेव-अनारसे और चकली...
मुँह में आ जाए पानी,
रहती मिठाई इतनी सारी...
फुलझड़ी-रेलगाडी-अनार,
और गोल घूमती हुई चकरी...
हाए! कितनी है खुश होती,
ये सब देख, हमारी चिंकी...
सब मिलते एक साथ,
कितना अच्छा बहाना है यार...
सर पर रहता बड़ो का हाथ,
मिलता आशिर्वाद और प्रेम अपार...
जैसे है दूर होता,
अमावस का भी अंधकार...
रौशन हो जाए,
हर एक जिंदगी इस बार...
-Pranjali Ashtikar
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