मुस्कान तो थी पर बोझ सा था कही
मेरे होने का एहसास तो था
पर किसी के आने की चाह भी थी ना
उम्र के साथ रिश्ते गहरे हुए,आखों में ख्वाब थे मेरे लिए
पर दुनिया की बदलती नजरोने उनके हात बांध दिए
किसी दिन नई गलियों मे छोड आए
उनके लिए महल बनाने के इरादे अधुरे रह गए
नए परिवार ने अपना तो लिया
पर जन्मदाता के खिलाफ बोहोत सुना दिया
ना मै यहां कि थी ना वहां की हुई
मेरे हक जताने कि कोई जगह नहीं रही
थोडा अपनापन देने बच्चों ने दुनिया बनाई
और बडे होते हि ना किए गुन्हाओ कि सजा सुनाई
जिंदगी भर रिश्ते बदलती रही पर मेरा हक ना जमा पायी क्यो ?
सबके सपने पुरे करते करते खुद को भुलसी गयी क्यो ?
हर लिबास मे सबसे बेहतर थी,फिर भी मेरे जन्म से दुनिया रोती है क्यो ?
हा मै वही हु जिसे तुम औरत कहके पुकारते हो !
हा मै वही हु जिसे तुम औरत कहके पुकारते हो !!
--Vaishnavi
Very heart touching lines 👌👌👌
ReplyDeleteDark reality of the society...
Bohot badhiya likha Vaishnavi ...keep it up 👍👍🍀
Thank you so much 🤩🤩🤩
DeleteWords are mightier than sword. Phenomenal work......
ReplyDeleteThank you 🤩🤩🤩
DeleteNapte...👌🤩🥰
ReplyDeleteThanks dear 💕
DeleteVaishnavi... This is fabulous 😃😃👌👌👌👌
ReplyDeleteThis is true... U have explained this all in a very nice manner.... 👍👍👍
Thanks you 🤩🤩
DeleteExtremely Touchy Napto Mamm... Literally 🔥🔥🔥🔥🔥🎆🎇
ReplyDeleteDhanyavaad sirji 😄🤩🤩
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