Skip to main content

Mera Gulab

 मेरा गुलाब



लाना था गुलाब, 

ताकि एक गुलाब को तौफा दे सके.... 

गुलाब तोड़ते वक्त, 

कई काटे हमें भी चुभ गए.... 

गुलाब देख के, 

हमारा गुलाब भी मुस्काया.... 

तकलीफ ना हो उन्हें, 

इसलिए घाव हमने छुपाया.... 

पर दिल उनका, 

हमारा दर्द समझ गया.... 

और बड़े प्यार से उन्होंने, 

घाव पे मलहम लगाया.... 

मलहम तो था सिर्फ बहाना,  

हमारा घाव तो उनके प्यार से ही भर आया था.... 

- Pranjali Ashtikar


Comments

  1. Oye oye... Kya baat hai .. Gulab ke chakkar me gulabi ho rahe ho. 😂😂
    Nice poem... keep it up 👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. 🙈🙈🙈
      Kya kare, Gulab ki baat hi kuch esi hoti h... 🥰🥰
      Thanks Khush😃😊😊

      Delete
  2. Gulab ne gulab par likhi h.....
    Bahut hi gajab h......

    ReplyDelete
    Replies
    1. 🙈🙈🙈🙈🙈
      Thank U Dear🥰🥰😘😘😘😘

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

WAKT KI BAAT...WAKT KE HAAT...

वक्त की बात ...वक्त के हात ..

DIL KI BAT..

दिल की बात

SWABHIMAN...

स्वाभिमान मशख्खत तेरी गुमनाम है, मालूमात बकवास हुई, तेरा कोई वजूद नहीं तो तुज़ में वो बात नहीं। किस्से हज़ार है बारिश बेमिसाल हुई। पर तुझे मनाए कोई इतनी किसी को तेरी परवाह नहीं। कुछ हासिल हो तो ही तू है वरना तेरा होना किसी के लिए खास नहीं।  कुछ पा ले फिर बात कर नामुराद, अब तू किसी के लिए सौगात सही। जो हक है तेरा वो है तुझे पाना, खुदाई तेरी किसी खैरात की मोहताज नहीं।  ना समझ तू घमंड इसे, है तेरा स्वाभिमान यही। जब तक न कर ले कुछ हासिल तू, ना भूल की तेरा कोई वजूद नहीं, तुझ में वो बात नहीं। - Yogeshwari Bhoyar कलम वहीं, बाते भी वही, बस पहचान कुछ नहीं....

BHEDIYA ..

भेडिया

DARK NIGHT ..

DARK NIGHT

जीवन का एक अंग.......

तू जिंदगी का हिस्सा,  कोई माने  या  ना माने, तू हर कहानी का किस्सा..... कही डर तो कभी आपदा के नाम से तेरी पहचान, अल्फाज बदलते, भाव मात्र एक समान..... रहे तकरार, की तू कमजोरी की निशानी, ऐसी भूल ना करे कोई बुद्धि सयानी..... इस एक मात्र भय ने क्या खूब रंग दिखाए सच्चे-झूठे काम, समय समय करवाए... फिर पश्चाताप की कसोटी में तू खुद को आजमाएं बेलगाम दिमाग यादों के प्रभाव से उभर न पाए..... समय फिर नई घटनाएं नव अनुभव साथ लाये बीती बातों की परछाई पीछे छोड़ जाये.... वो साया भय का, सबब याद दिलाये सही गलत का सबक बेहतरी की ओर ले जाये.... तेरे हिम्मत की पहचान तुझे भय ने करवाई धैर्य की शीतलता पल पल सिखाई..... अंतता, मौजूदगी भयकी अनुशासन बढ़ाए, नैतिकता और मानवता से जीवन सजाए..... तू अस्तित्व भय का स्वीकार कर उठ, आगे बढ़ और हर चुनौती पार कर.... -Yogeshwari K Bhoyar

TARIF..

तारीफ

CHANGE IS LIFE...

CHANGE IS LIFE

ती

ती .. कोणाला नाही आवडत आपल बालपण.???  प्रत्येकजण बोलतेय,   लहानपण देगा देवा,  मुंगी साखरेचा रवा' पण, कुणी ते  बालपणच हिरावून घेतल तर.???  होय,  माझ बालपण हिरावलय...  बालपणात हरवलेली मी, किती सुंदर जग होते,  माझ्या स्वप्नाच्या दुनियेत आनंदाचे क्षण होते... ना कुठली चिंता,  ना कसली काळजी,  मनसोक्त खेळणे आणि स्वछंद भरारी... मी  बाबांची परी आणि आईची लाडली,  दादासोबत भांडत - खेळत प्रेमाने फुलली...  मित्र - मैत्रिणींसोबत जमलेली माझी गट्टी,  जणू हेच सर्व माझी विश्वनगरी...  परंतु,  एके दिवशी झाले असे,  मी चुकली वाट की नशिबच थोडे होते.???  जीवनातला तो शेवटचा काळा दिवस होता,  माझ्या मनाविरुद्ध सोबत घेऊन जात होता...  मी  शाळेच्या वाटेला निघाली,  मध्येच काका मला अडवी,  मला सोबत चालायला लावी...  मी नाही म्हटल्यावर मला उचलून घेई,  काय चुकी माझी,  सांगा ना कुणीतरी.???   आई ग,  ऐक ना,  तू रडू नकोस खुप घाबरली होती मी,  ओरडायला पण जागा उरली नव्हती,  माझ्या तोंडामध्ये काहीतरी कोंबून का ते काका मला घेऊन जाई.???  काय चुकी माझी,  सांग ना ग आई.???   आई,  अंधाराची वाट होती माझ्या डोळ्यांना पट्टी होती,  श्व

लोक-मत

'लोक-मत' " बोलावे मनमोकळे तर  किती तो बालिशपणा, आणि शांत राहण्याची करावी हुशारी तर  किती तो शिष्टपणा! नकारात्मकता डोक्यामधे  यांनीच नाही का भरावी, हे नसतील तर आयुष्याची गाडी  यशस्वी कशीच व्हावी! वागावे कसे यांच्याशी  हेच मला न कळे, परी ही दांभिक विचारसरणी काहीच लोक आचरे! 'लोकांच्या मताची' तर्हाच न्यारी चित भी मेरी और पट भी मेरी! "                                         ---मृणाली सोसे .