मेरा गुलाब
लाना था गुलाब,
ताकि एक गुलाब को तौफा दे सके....
गुलाब तोड़ते वक्त,
कई काटे हमें भी चुभ गए....
गुलाब देख के,
हमारा गुलाब भी मुस्काया....
तकलीफ ना हो उन्हें,
इसलिए घाव हमने छुपाया....
पर दिल उनका,
हमारा दर्द समझ गया....
और बड़े प्यार से उन्होंने,
घाव पे मलहम लगाया....
मलहम तो था सिर्फ बहाना,
हमारा घाव तो उनके प्यार से ही भर आया था....
- Pranjali Ashtikar
Oye oye... Kya baat hai .. Gulab ke chakkar me gulabi ho rahe ho. 😂😂
ReplyDeleteNice poem... keep it up 👌👌
🙈🙈🙈
DeleteKya kare, Gulab ki baat hi kuch esi hoti h... 🥰🥰
Thanks Khush😃😊😊
😂😂👍👍
DeleteGulab ne gulab par likhi h.....
ReplyDeleteBahut hi gajab h......
🙈🙈🙈🙈🙈
DeleteThank U Dear🥰🥰😘😘😘😘