आज हर रिश्ता, एक ही बुनियाद पर बनता है
तू मुझे जितना देगा,मै उतना ही तुझे दूँगा यही कहता है
कच्चे धागो से बंधे ज्याते , सारे टूटने वाले लोग वो
सब अच्छा ही चलता है पर, दरारे आती है जब वो जैसा चाहते वैसा ना हो !
अपनो के लिये कुछ भी करलो,सवाल बस तुमने किया ही क्या है यही आया
प्यार, मोहब्बत,माफी ये तो दिखता ही नही, भगवान मानकर जान छिड़कने का जमाना तो कब का गया !
कभी जोकर या जो हम नही वो बने,सिर्फ कुछ पल की हसी देखने के लिए
उसी बातो का घटीया मजाक बनाया, और हमे ही तनहा छोङ दिये !
वादा मतलब विश्वास होता हैं, पर अब तो इसका वादा उसको चिपकाकर शैतानी मजे लेते
भावनाओं का मूल्य अहंकार ने ले लिया, और हर दिल के साथ द्युत का खेल खेलते !
ऐसा ही चलता रहा यहा,तो प्यार तो दुनिया से मिट ही जाएगा
आने वाला भविष्य यही देखकर, अपनो से सिर्फ खुद तक का दौर लाऐगा!
Nice poem 👌👌🎉🎉🥇
ReplyDeleteThank you 🤩🤩🤩
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