बदलता दोस्त
कुछ भी करो, काफी ना था उसके लिए
मेंरी दोस्ती, मेरा वक्त और मेरा प्यार
अहमियत ना रही इन बातो की उसके दिमाग में
भूल गया वो कैसे मुझे तक्षण में
क्षण में कैसे बदल जाते है ना रिश्ते
बाफ बनकर उड़ जाते है जो कभी लगते थे फरिश्ते
भावनाओं को लगाया था जिसको मैंने इतने करीब से
ग़लती मेरी उम्मीदो का जिक्र भी किया था उसीसे
दूर जाओ तो दुख, पास आओ तो दु:ख
इसी बीच गुम हो गया है मुस्कुराने वाला सुख
सब कुछ भूलकर अब चलने का वक्त आया है
सब सच हुए जिसकी बात हुई थी, इसी बात का अफसोस है
- खुशाल भोयर
Bahot dard bhara likha h re tune, Khush. ... Accha likha h... 👌👌👌👌
ReplyDeleteThanks yaar 😁🤘💫
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