कुछ करने की चाह...
या कुछ बनने की ख्वाहिश...???
मिलो दुर कहीं घूमने की तमन्ना...
या किसी के साथ बस जाने की है इच्छा...???
अदा करना है फर्ज़ ....
या उतारने है कई कर्ज...???
करना है किसी से प्यार...
या बस करते रहना है तकरार...???
बनना है किसी का सहारा...
या फिर लेना पड़ रहा है, बार बार किसीका सहारा...???
आखिर, क्या है ये ज़िंदगी...???
तुम्हारी है ये उलझन,
तुम्ही इसे सम्भालो यार...
मैं तो खुद इस भुलभुलैयाँ में,
खो जाती हुँ हर बार...
- Pranjali Ashtikar
Nice poem Pranju ...👌👌
ReplyDeleteभुल भुलैया सही कहा 👍🎉😅
Ha Khush 😎🤪😃
Delete👌👌👌
ReplyDelete😃😃😊
DeleteBas yahi hai jindagi.
ReplyDeleteAmazing lines.
Thank U Amit😃😊
Delete