बड़ा शहर
ऊँची इमारते,
लम्बी-चौड़ी सड़के...
अपनी मरज़ी से जीते यहाँ,
ज़िंदगी सारे लड़के...
है ये बड़े शहरों,
की छोटी-छोटी बातें...
जहाँ कोई हमारे मामले में,
अपनी टाँग नहीं अड़ाते...
खुली हवा है यहाँ,
आज़ादी भी है...
हा, सुकुन की साँस हमने,
यहाँ आके हि ली है...
ना बंदिशे है,
ना कोई सवाल हि है...
हाँ, शायद यही एक कमी,
हमें महसूस हो रही है...
बड़े शहरों की ये चका-चौंध,
हमें आकर्षित कर रही है...
कहीं खुद को यहां खो ना दू,
ये सम्भावना डरा रही है...
-Pranjali Ashtikar

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