तुम्हारी खामोशियाँ...
तुम्हारी खामोशियाँ,
बहोत कुछ केह रही है...
मन में कई सवाल हमारे,
ये पैदा अब कर रही है...
नाराज़गी है हमसे,
या कोई शिकायत ही है...
अब तुम बता भी दो,
क्या हमसे कोई गलती हो गई है...
परेशानी है तुम्हे,
या कोई तकलीफ हो रही है...
बताओ तुम्हारे दिल में,
क्या कोई उलझन चल रही है...
गुज़ारिश है हमारी,
अपनी चुप्पी तोड़ दो ना...
हम जरूरी है या नहीं,
कम से कम ये तो बता दो ना...
नहीं करनी हमसे गुफ्तगू,
तो भी ठीक है ना...
बस, इस पागल दिल को कैसे समझाऊ,
तुम बता दो ना...
- Pranjali Ashtikar

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