मौसम की परछाई
देखो मौसम की परछाई बन वो आई हैं
संग अपने वर्षा, ग्रीष्म और सर्द लायी हैं
जरासा तंग करने पर वो गरम हो जाती हैं
और जादा करो तो बस बाढ ही आ जाती हैं
पर जब बात मनाने की हो
तो खुद ठंडा रह कर वो मुझे मना ही लेती हैं
खुद अपने आप मे ये लड़की मौसम की परछाई हैं
संग अपने वर्षा, ग्रीष्म और सर्द लायी हैं
देखो मौसम को ये किस अंदाज से हसीन बनाती हैं
हक़ जताने के लिए वो सुरज सी जिद्दी बन जाती हैं
और बात जब ना बने तो बादल बनकर बरसती हैं
पर जब उससे भी बात ना बने तो बर्फ की तरह जमकर चुपचाप बैठ जाती हैं
खुद अपने आप मे ये लड़की बात मनवानेकी मशीन हैं
संग अपने वर्षा, ग्रीष्म और सर्द लायी हैं
देखो मौसम को ये अपने अनुसार बदल देती हैं
हसते हसते रोकर बेमौसम बरसात की याद दिलाती हैं
और रोते रोते हंसकर सावन मे धूप महसूस करवाती हैं
पर नजाने कैसे जब रुठकर बैठने की बात हो तो खिलखिलाकर हसती हैं
मानो सर्द मे सुरज के दुर्लभ दर्शन से मिल गए हो
ये लड़की सचमे अपने आप मे सारे रूतुओ का स्रोत हैं
संग अपने वर्षा, ग्रीष्म और सर्द लायी हैं
- खुशाल भोयर
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