याराना
खुबसूरत सा,
हमारा ये रिश्ता था...
तू मेरा,
और मैं तेरा था...
साथ, खाना-पीना-सोना,
एक दुसरे को हसाना -रुलाना...
रात-रात साथ बैठ,
ज़िंदगी की गुत्थी सुलझाना...
यार था तू मेरा,
मेरे लिए अब भी है...
पहले था दो दिल का,
अब रिश्ता एक तर्फि है...
कई तूफाने समेटे थे हमने,
ये आँधी इतनी मुश्किल ना थी...
तेरी भी थी जरूरत,
सिर्फ मेरी पहल काफी ना थी...
कुछ अलफाज़ो की चुभन,
अब भी महसूस हो रही है...
उन्हें अनसुना करने की दिल की कोशिश,
साफ समझ आ रही है...
इन सब से क्या लेना मुझे,
मतलब सिर्फ एक से है...
तू हसता-खेलता रहे,
तमन्ना सिर्फ ये एक ही है...
हर दुआ कबुल हो तुम्हारी,
चाहत ये मेरी है...
मिले अगर तुम्हारी नाराज़गी,
तो भी मेरी मंजूरी है...
-Pranjali Ashtikar
Nice poem 👌👌👌 keep it up 🤘✌👍
ReplyDeleteThanks Khush😃😊
DeleteGreat 🤘🤘🤘
ReplyDeleteThank U😊
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