मेरी बहन बाँधी मेरी कलहाई पे उसने, रेशम की गाँठ, ताकि रहे मुझे हमेशा याद.... चाहे कितने भी लोग रहे, ज़िंदगी में मेरे, हमेशा सबसे पहले आए उसका खयाल.... किया है उससे वादा, हमेशा साथ निभाने का.... इस ज़िंदगी के सफर में, हमेशा हाथ थामे रहने का.... किया है उससे वादा, दुनिया की बुरी नज़रों से बचाने का.... मगर अब, बनाना है उसे इस काबील, की खुद्द सामना करे वो हर एक मुश्किल का.... तौफे में देना चाहता हुए उसे, ढेर सारा प्यार.... हमेशा रहे उसके ज़िंदगी में, बसंत जैसी बहार.... अपने मन की बात मनवा लेती, मुझसे हर बार.... अच्छी लगती है मुझे, उसकी प्यार भरी तकरार.... जब जब लु मैं, इस दुनिया में अवतार.... तुम ही रहना मेरी बहन, हर जनम, हर बार.... -Pranjali Ashtikar
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